वर्तमान में Tiddi Dal Ka Hamla एक बहुत बड़ी चुनौती बन चुका है। दुनिया के कुछ इलाकों से शुरू हुआ टिड्डी दलों का हमला अब भारत के लिए भी एक नई मुसीबत बन गया है।
क्यों होते है टिड्डी दल इतने भयावह ? क्यों बन जाती है सबके लिए सरदर्द ? आईए जानते है क्या का पूरा मसला !!!
क्यों होते है टिड्डी दल इतने भयावह ? क्यों बन जाती है सबके लिए सरदर्द ? आईए जानते है क्या का पूरा मसला !!!
तरह तरह की आपदाओं की सौगात लेकर आने वाला वर्ष 2020 अब तक सब के लिए बहुत बुरा रहा है। एक ओर जहां कॉरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तांडव मचा रखा है, जो कि थमने का नाम नहीं ले रहा, साथ ही इस साल भयानक आग, भूकंप, हिमस्खलन, चक्रवर्ती तूफान, ज्वालामुखी जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने दुनियाभर में दस्तक दी। इन सब के बाद अब दुनिया के कई देशों में Tiddi Dal Ka Hamla तबाही मचा रहा है।
भारत की बात की जाए तो देश पहले से ही जानलेवा वायरस से क्षतिग्रस्त है, वहीं अब Tiddi Dal Ka Hamla देश के लिए एक बहुत बड़ी त्रासदी का रूप ले रहा है। पिछले कुछ दिनों से देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर टिड्डी दल का प्रकोप देखा गया है जो की निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। राजस्थान, हरयाणा, उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के बाद अब पूर्वी क्षेत्र में इनका प्रकोप तेज़ी से बढ़ रहा है।
➤ टिड्डीयों की खास बातें
टिड्डी जिसे इंग्लिश में Locust कहा जाता है, ऑर्थोप्टेरा गण का एक कीट है। इसे Short -horned grasshopper भी कहते है। इनकी कई प्रजातियां है जिनमें से Scheistocerca gregaria यानि डेजर्ट लोकस्ट का प्रकोप भारत में अक्सर देखा जाता है। ये प्रवासी कीट बहुत विशाल झुण्ड में भ्रमण करते है। इनकी ख़ास बात यह है की इनका हमला कुछ घंटों के भीतर पूरी की पूरी फसल को ख़त्म कर देते है। इनका झुण्ड कई किलोमीटर्स तक फैला हुआ होता है और एक दिन में टिड्डी दल 150 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकते है। लेकिन ये टिड्डियाँ रात के समय नहीं उड़ती और जहां इनका ठहराव होता है वहां कुछ भी नहीं छोड़ती, यानी की घास, पत्ते, फूल, टहनी, यहां तक की पेड़ की छाल को भी चट कर जाते है। इनको नियंत्रण करना बेहद मुश्किल होता है। एक वर्ग किलोमीटर में करोड़ों की तादाद में उड़ने वाली टिड्डीयां कृषि जगत के लिए किसी आतंकी सेना से कम नहीं होते।
पिछले वर्ष टिड्डीयों के विशाल झुण्ड अफ्रीका से ईरान , यमन व ईरान की ओर जाते नज़र आये। FAO के अनुसार इसी वर्ष की शुरुआत में अफ़्रीकी देशो में भारी तबाही हुई। केन्या में पिछले 70 सालो में सबसे खतरनाक Tiddi Dal Ka Hamla था वही Ethopia में पिछले 25 सालों का सबसे भयानक टिड्डी दलों का हमला था।
➤ भारत में Tiddi Dal Ka Hamla
अफ़्रीकी व अन्य एशियाई देशो की तरह भारत में भी कई बार टिड्डी दलों का हमला हुआ है जिसने अर्थव्यस्था की कमर तोड़ कर रख दी। उन्नीस्वी सताब्दी में भारत में 7-8 बार बड़े रूप में टिड्डी दलों का हमला हुआ। उसी समय से इस आफत से निजात पाने के प्रयास शुरू हो गए थे। 1927-29 के दौरान हुए भारी प्रकोप के बाद Central Locust Bureau की शुरुआत हुई और आगे चल कर 1939 में जोधपुर में Locust Warning Organisation की स्थापना हुई।
Lockdown ने Pesticides Production Units को पहले से बंद कर रखा है। ऐसे में देशभर में रसायनों की भरी किल्लत का भी सामना करना पड़ रहा है। छोटे स्तर पर थाली बजाने से लेकर पटाखे और गाने बजाकर टिड्डियों को भागने के प्रयास किये गए मगर यह समस्या का समाधान नहीं है। अपने आसपास के इलाके में अगर बड़े पैमाने पर टिड्डियों की उपस्थिति नज़र आती है तो तुरंत कृषि विभाग के अधिकारीयों को सूचित करें। बेशक, समस्या बहुत गंभीर है मगर हम सब को अपने - अपने स्तर पर सचेत रहकर सरकार का सहयोग करना होगा।
भारत में पिछले वर्ष राजस्थान के कुछ इलाकों में टिड्डी दल की मौजूदगी नजर आई । लेकिन इस साल तो समय से काफी पहले tiddi दल ने हमला कर दिया। 11 अप्रैल को भारत - पाकिस्तान बॉर्डर क्षेत्र में सबसे पहले tiddi का प्रकोप देखने को मिला। वर्तमान में पश्चिमी एवं मध्य भारत को इस कीट के विशाल झुंड ने अपनी गिरफ्त में लेे लिया है। माना जा रहा है की इस बार का टिड्डी दलों का हमला पिछले 30 सालों में सबसे भयानक है। इसका मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन है। कुछ दिनों पहले आये अम्फान तूफ़ान से यह समस्या और भी ज्यादा गंभीर हो गयी। इससे निजात पाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास में जुटी है मगर अब तक कोई बेहतर परिणाम नज़र नहीं आये। सरकार को नवाचार के साथ आगे बढ़ना होगा जिससे इस परिस्थिति से उभर सके।
Lockdown ने Pesticides Production Units को पहले से बंद कर रखा है। ऐसे में देशभर में रसायनों की भरी किल्लत का भी सामना करना पड़ रहा है। छोटे स्तर पर थाली बजाने से लेकर पटाखे और गाने बजाकर टिड्डियों को भागने के प्रयास किये गए मगर यह समस्या का समाधान नहीं है। अपने आसपास के इलाके में अगर बड़े पैमाने पर टिड्डियों की उपस्थिति नज़र आती है तो तुरंत कृषि विभाग के अधिकारीयों को सूचित करें। बेशक, समस्या बहुत गंभीर है मगर हम सब को अपने - अपने स्तर पर सचेत रहकर सरकार का सहयोग करना होगा।
साथ मिलकर ही इस आफत से निजात पाया जा सकता है।
--- ✍शिवम् तिवाड़ी
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