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मंगलवार, 26 मई 2020

विष्णु दत्त बिश्नोई की मृत्यु उठाती है सवाल --- खुदकुशी या हत्या?

किसी महान व्यक्ति ने कहा,
"यदि आपका हृदय ईमान से भरा है तो एक शत्रु क्या, सारा संसार आपके सम्मुख हथियार डाल देगा."
पर क्या यह कथन आज के व्यवहारिक जीवन में तर्कसंगत है ? क्या यह बात आज की दुनिया में सही साबित होती है? अगर हाँ, तो क्यों एक ईमानदार पुलिस अधिकारी को जीवन से हारकर आत्महत्या का मार्ग अपनाना पड़ा ?

विष्णु दत्त बिश्नोई


जी हाँ ! बात हो रही है राजस्थान पुलिस के निरीक्षक विष्णु दत्त बिश्नोई की जिन्होंने शनिवार को खुदकुशी कर अपनी जान दे दी। खबर सुनते ही समूचे राजस्थान में शोक की लहर बहने लगी। इस हृदयविदारक घटना से एक ओर सभी आहात है वहीं, दूसरी ओर जनता में भारी आक्रोश नज़र आ रहा है। कहा जा रहा है की घटना के पीछे जरूर कोई बड़ी शाज़िश है, इसलिए उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।

➤ कौन थे विष्णुदत्त बिश्नोई और क्या है पूरा मसला



विष्णु दत्त बिश्नोई









"जनता का भगवान् ", "सिंघम ", "दबंग ", "गरीबों का मसीहा " कहलाने वाले राजगढ़-सादुलपुर थाने के SHO विष्णु दत्त बिश्नोई अपनी कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी के लिए काफी मशहूर थे।  अपराधियों  के प्रति Zero Tolerance की नीति रखने वाले निरीक्षक बिश्नोई  का रुतबा ऐसा था की वे जहां भी तैनात रहते थे, वहां उन्होंने जुर्म का सफाया कर दिया था। उन्हें नाम मात्र से ही बदमाशों के पसीने छूटने लग जाते थे। उनके निडरता वाले इस रवैए से लोग इस कदर प्रभावित थे की उन्हें रियल लाइफ सिंघम कहते थे। बिश्नोई का नाम राजस्थान के टॉप SHO में गिना जाता था। उनकी निष्ठापूर्ण कार्यशैली लोगों के लिए प्रोत्साहन का कारक हुआ करती थी और उन्होंने आम लोगों में पुलिस के प्रति नया विश्वास पैदा कर दिया था। यही कारण था की राज्य के हर क्षेत्र के लोगों में उनकी डिमांड रहती थी।  इसलिए कहा जाता था की विष्णुदत्त बिश्नोई का तबादला Political Desire से नहीं बल्कि Public Demand  से हुआ करता था ।

उनके काम का शानदार परिणाम बीकानेर जिले के श्रीडूंगरगढ़ में देखने को मिला जहां तनाव को रोकने में उच्चतम दर्जे के अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए वहीं विश्नोई निरीक्षक के तौर पर अपनी अनोखे अंदाज में पूरा मामला शांत कर दिया। उन्होंने दंगा ही नहीं रोका बल्कि हर वर्ग के लोगों का दिल जीत लिया।

➤क्या हो सकता है इमानदार बिश्नोई की मृत्यु का कारण

किसी से ना डरने वाले और कभी भी ना झुकने वाले अधिकारी विष्णुदत्त बिश्नोई का इस प्रकार खुदकुशी का कदम उठाना पहला प्रश्न यही उठता है  कि क्या यह सचमुच आत्महत्या है, या कोई हत्या ? अगर आत्महत्या, तो ऐसी क्या मजबूरी रही होगी कि उन्हें खुद को अपना जीवन खत्म करना पड़ा।


सिवाय Suicide Note और Whatsapp Chat के फिलहाल, कोई ठोस प्रमाण सामने नहीं आया है,  इसलिए किसी निष्कर्ष पर नहीं पंहुच सकते  लेकिन यह निश्चित है कि इसके पीछे बहुत बड़ी साजिश थी। राजनैतिक कारक और विभाग द्वारा आंतरिक दबाव की संभावनाएं नज़र आ रही है। घटना के बाद राजनीति गरमा गई है। मामले में वहां की विधायिका कृष्णा पूनिया का नाम आ रहा है। हालांकि, पूनिया ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बता कर पलड़ा झाड़ रही है। राजनैतिक कारक और विभाग द्वारा आंतरिक दबाव की संभावनाएं बहुत ज्यादा है। हर तबके के लोगों में आक्रोश फूट रहा और चारों ओर से CBI जांच की मांग की जा रही है। 


विष्णु-दत्त-बिश्नोई


इस हृदय विदारक घटना के पीछे का पर्दा नहीं हटेगा, अगर उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच नहीं हुई तो !!! सामान्य मामलों की तरह मसला भी फाइलों के तले कहीं दब जाएगा और लोग दो दिन चिल्लायेंगे और भूल जाएंगे।
हकीकत क्या है यह फिलहाल एक मुश्किल सवाल है लेकिन, इससे भी कहीं ज्यादा मुश्किल सवाल वो है जो SHO विष्णु दत्त बिश्नोई छोड़ गए।


  • क्या निष्ठा और इमानदारी इतनी महंगी हो गई कि उसके बदले व्यक्ति को जान देनी पड़े?
  • कब तक इमानदारी को दुराचार और सियासत के आगे विवश होना पड़ेगा?
  • क्या इमानदारी सर्वोत्तम नीति है? (Is honest the best policy?)

इन अनसुलझे सवालों के जवाब शायद किसी के पास भी नहीं मगर, यह साबित हो गया की
 सियारों के आदेशों पर कोयल कभी गाया नहीं करती, चाहे जान क्यों न देनी पड़े  !!!
--- ✍️ शिवम् तिवाड़ी
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5 टिप्‍पणियां:

  1. ईमानदारी का दर्जा ऊंचा है और ऊंचा ही रहेगा, आपके विचार इमानदारी के प्रति और निष्ठावान होने की ओर प्रेरित करते हैं बहुत-बहुत शुक्रिया शिवम

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    1. आपकी प्रतिक्रिया मुझे बेहतर लिखने को प्रेरित करेगी। शुक्रिया !

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  2. बहुत ही हृदय विदारक घटना... 😒😒💔💔
    बहुत सही लिखा... भाई 👍🏻👍🏻

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी प्रतिक्रिया मुझे और बेहतर लिखने को प्रेरित करेगी। शुक्रिया !

      उम्मीद है उन्हें इंसाफ मिले

      हटाएं

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