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शुक्रवार, 5 जून 2020

Tiddi Dal Ka Hamla - टिड्डी दलों का हमला

      वर्तमान में Tiddi Dal Ka Hamla एक बहुत बड़ी चुनौती बन चुका है। दुनिया के कुछ इलाकों से शुरू हुआ टिड्डी दलों का हमला अब भारत के लिए भी एक नई मुसीबत बन गया है।

क्यों होते है टिड्डी दल इतने भयावह ? क्यों बन जाती है सबके लिए सरदर्द ? आईए जानते है क्या का पूरा  मसला !!!


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➤ २०२० में अब तक 


तरह तरह की आपदाओं की सौगात लेकर आने वाला वर्ष  2020 अब तक सब के लिए बहुत बुरा रहा है। एक ओर जहां कॉरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तांडव मचा रखा है, जो कि थमने का नाम नहीं ले रहा, साथ ही इस साल भयानक आग, भूकंप, हिमस्खलन, चक्रवर्ती तूफान, ज्वालामुखी जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने दुनियाभर में दस्तक दी। इन सब के बाद अब दुनिया के कई देशों में  Tiddi Dal Ka Hamla तबाही मचा रहा है। 

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भारत की बात की जाए तो देश पहले से ही जानलेवा वायरस से क्षतिग्रस्त है, वहीं अब Tiddi Dal Ka Hamla देश के लिए एक बहुत बड़ी त्रासदी का रूप ले रहा है। पिछले कुछ दिनों से देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर टिड्डी दल का प्रकोप देखा गया है जो की निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। राजस्थान, हरयाणा, उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के बाद अब पूर्वी क्षेत्र में इनका प्रकोप तेज़ी से बढ़ रहा है।

➤ टिड्डीयों  की खास बातें 


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टिड्डी जिसे इंग्लिश में Locust कहा जाता है, ऑर्थोप्टेरा गण का एक कीट है। इसे Short -horned grasshopper  भी कहते है। इनकी कई प्रजातियां है जिनमें से Scheistocerca gregaria यानि डेजर्ट लोकस्ट का प्रकोप भारत में अक्सर देखा जाता है। ये प्रवासी कीट बहुत विशाल झुण्ड में भ्रमण करते है। इनकी ख़ास बात यह है की इनका हमला कुछ घंटों के भीतर पूरी की पूरी फसल को ख़त्म कर देते है। इनका झुण्ड कई किलोमीटर्स तक फैला हुआ होता है और एक दिन में टिड्डी दल 150 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकते है। लेकिन ये टिड्डियाँ रात के समय नहीं उड़ती और जहां इनका ठहराव होता है वहां कुछ भी नहीं छोड़ती, यानी की घास, पत्ते, फूल, टहनी, यहां तक की पेड़ की छाल को भी चट कर जाते है। इनको नियंत्रण करना बेहद मुश्किल होता है। एक वर्ग किलोमीटर में करोड़ों की तादाद में उड़ने वाली टिड्डीयां कृषि जगत के लिए किसी आतंकी सेना से कम नहीं होते।

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पिछले वर्ष टिड्डीयों के विशाल झुण्ड अफ्रीका से ईरान , यमन व ईरान की ओर जाते नज़र आये। FAO के अनुसार इसी वर्ष की शुरुआत में अफ़्रीकी देशो में भारी तबाही हुई।  केन्या में  पिछले 70 सालो में सबसे खतरनाक Tiddi Dal Ka Hamla था वही Ethopia  में पिछले 25  सालों का सबसे भयानक टिड्डी दलों का हमला था।

➤ भारत में  Tiddi Dal Ka Hamla


अफ़्रीकी व अन्य एशियाई देशो की तरह भारत में भी कई बार टिड्डी दलों का हमला हुआ है जिसने अर्थव्यस्था की कमर तोड़ कर रख दी। उन्नीस्वी सताब्दी में भारत में 7-8 बार बड़े रूप में टिड्डी दलों का हमला हुआ। उसी समय से इस आफत से निजात पाने के प्रयास शुरू हो गए थे। 1927-29 के दौरान हुए भारी प्रकोप के बाद Central Locust Bureau  की शुरुआत हुई और आगे चल कर 1939 में जोधपुर में Locust Warning Organisation की स्थापना हुई।


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भारत में पिछले वर्ष राजस्थान के कुछ इलाकों में टिड्डी दल की मौजूदगी नजर आई । लेकिन इस साल तो समय से काफी पहले tiddi दल ने हमला कर दिया। 11 अप्रैल को भारत - पाकिस्तान बॉर्डर क्षेत्र में सबसे पहले tiddi का प्रकोप देखने को मिला। वर्तमान में पश्चिमी एवं मध्य भारत को इस कीट के विशाल झुंड ने अपनी गिरफ्त में लेे लिया है। माना जा रहा है की इस बार का टिड्डी दलों का हमला पिछले 30 सालों में सबसे भयानक है। इसका मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन है। कुछ दिनों पहले आये अम्फान तूफ़ान से यह समस्या और भी ज्यादा गंभीर हो गयी। इससे निजात पाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास में जुटी है मगर अब तक कोई बेहतर परिणाम नज़र नहीं आये। सरकार को नवाचार के साथ आगे बढ़ना होगा जिससे इस परिस्थिति से उभर सके।


Lockdown ने Pesticides Production Units  को पहले से बंद कर रखा है। ऐसे में देशभर में रसायनों की भरी किल्लत का भी सामना करना पड़ रहा है। छोटे स्तर पर थाली बजाने से लेकर पटाखे और गाने बजाकर टिड्डियों को भागने के प्रयास किये गए मगर यह समस्या का समाधान नहीं है। अपने आसपास के इलाके में अगर बड़े पैमाने पर टिड्डियों की उपस्थिति नज़र आती है तो तुरंत कृषि विभाग के अधिकारीयों को सूचित करें। बेशक, समस्या बहुत गंभीर है मगर हम सब को अपने - अपने स्तर पर सचेत रहकर सरकार का सहयोग करना होगा। 
साथ मिलकर ही इस आफत से निजात पाया जा सकता है।

--- ✍शिवम् तिवाड़ी 




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मंगलवार, 26 मई 2020

विष्णु दत्त बिश्नोई की मृत्यु उठाती है सवाल --- खुदकुशी या हत्या?

किसी महान व्यक्ति ने कहा,
"यदि आपका हृदय ईमान से भरा है तो एक शत्रु क्या, सारा संसार आपके सम्मुख हथियार डाल देगा."
पर क्या यह कथन आज के व्यवहारिक जीवन में तर्कसंगत है ? क्या यह बात आज की दुनिया में सही साबित होती है? अगर हाँ, तो क्यों एक ईमानदार पुलिस अधिकारी को जीवन से हारकर आत्महत्या का मार्ग अपनाना पड़ा ?

विष्णु दत्त बिश्नोई


जी हाँ ! बात हो रही है राजस्थान पुलिस के निरीक्षक विष्णु दत्त बिश्नोई की जिन्होंने शनिवार को खुदकुशी कर अपनी जान दे दी। खबर सुनते ही समूचे राजस्थान में शोक की लहर बहने लगी। इस हृदयविदारक घटना से एक ओर सभी आहात है वहीं, दूसरी ओर जनता में भारी आक्रोश नज़र आ रहा है। कहा जा रहा है की घटना के पीछे जरूर कोई बड़ी शाज़िश है, इसलिए उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।

➤ कौन थे विष्णुदत्त बिश्नोई और क्या है पूरा मसला



विष्णु दत्त बिश्नोई









"जनता का भगवान् ", "सिंघम ", "दबंग ", "गरीबों का मसीहा " कहलाने वाले राजगढ़-सादुलपुर थाने के SHO विष्णु दत्त बिश्नोई अपनी कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी के लिए काफी मशहूर थे।  अपराधियों  के प्रति Zero Tolerance की नीति रखने वाले निरीक्षक बिश्नोई  का रुतबा ऐसा था की वे जहां भी तैनात रहते थे, वहां उन्होंने जुर्म का सफाया कर दिया था। उन्हें नाम मात्र से ही बदमाशों के पसीने छूटने लग जाते थे। उनके निडरता वाले इस रवैए से लोग इस कदर प्रभावित थे की उन्हें रियल लाइफ सिंघम कहते थे। बिश्नोई का नाम राजस्थान के टॉप SHO में गिना जाता था। उनकी निष्ठापूर्ण कार्यशैली लोगों के लिए प्रोत्साहन का कारक हुआ करती थी और उन्होंने आम लोगों में पुलिस के प्रति नया विश्वास पैदा कर दिया था। यही कारण था की राज्य के हर क्षेत्र के लोगों में उनकी डिमांड रहती थी।  इसलिए कहा जाता था की विष्णुदत्त बिश्नोई का तबादला Political Desire से नहीं बल्कि Public Demand  से हुआ करता था ।

उनके काम का शानदार परिणाम बीकानेर जिले के श्रीडूंगरगढ़ में देखने को मिला जहां तनाव को रोकने में उच्चतम दर्जे के अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए वहीं विश्नोई निरीक्षक के तौर पर अपनी अनोखे अंदाज में पूरा मामला शांत कर दिया। उन्होंने दंगा ही नहीं रोका बल्कि हर वर्ग के लोगों का दिल जीत लिया।

➤क्या हो सकता है इमानदार बिश्नोई की मृत्यु का कारण

किसी से ना डरने वाले और कभी भी ना झुकने वाले अधिकारी विष्णुदत्त बिश्नोई का इस प्रकार खुदकुशी का कदम उठाना पहला प्रश्न यही उठता है  कि क्या यह सचमुच आत्महत्या है, या कोई हत्या ? अगर आत्महत्या, तो ऐसी क्या मजबूरी रही होगी कि उन्हें खुद को अपना जीवन खत्म करना पड़ा।


सिवाय Suicide Note और Whatsapp Chat के फिलहाल, कोई ठोस प्रमाण सामने नहीं आया है,  इसलिए किसी निष्कर्ष पर नहीं पंहुच सकते  लेकिन यह निश्चित है कि इसके पीछे बहुत बड़ी साजिश थी। राजनैतिक कारक और विभाग द्वारा आंतरिक दबाव की संभावनाएं नज़र आ रही है। घटना के बाद राजनीति गरमा गई है। मामले में वहां की विधायिका कृष्णा पूनिया का नाम आ रहा है। हालांकि, पूनिया ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बता कर पलड़ा झाड़ रही है। राजनैतिक कारक और विभाग द्वारा आंतरिक दबाव की संभावनाएं बहुत ज्यादा है। हर तबके के लोगों में आक्रोश फूट रहा और चारों ओर से CBI जांच की मांग की जा रही है। 


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इस हृदय विदारक घटना के पीछे का पर्दा नहीं हटेगा, अगर उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच नहीं हुई तो !!! सामान्य मामलों की तरह मसला भी फाइलों के तले कहीं दब जाएगा और लोग दो दिन चिल्लायेंगे और भूल जाएंगे।
हकीकत क्या है यह फिलहाल एक मुश्किल सवाल है लेकिन, इससे भी कहीं ज्यादा मुश्किल सवाल वो है जो SHO विष्णु दत्त बिश्नोई छोड़ गए।


  • क्या निष्ठा और इमानदारी इतनी महंगी हो गई कि उसके बदले व्यक्ति को जान देनी पड़े?
  • कब तक इमानदारी को दुराचार और सियासत के आगे विवश होना पड़ेगा?
  • क्या इमानदारी सर्वोत्तम नीति है? (Is honest the best policy?)

इन अनसुलझे सवालों के जवाब शायद किसी के पास भी नहीं मगर, यह साबित हो गया की
 सियारों के आदेशों पर कोयल कभी गाया नहीं करती, चाहे जान क्यों न देनी पड़े  !!!
--- ✍️ शिवम् तिवाड़ी
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बुधवार, 20 मई 2020

क्यों सुर्ख़ियों में आया TikTok ?

          इंटरनेट की दुनिया में एक नया एप आता है जो छोटे से अंतराल में काफी मशहूर हो जाता है।  इतना कि लोगों के स्मार्टफोन्स के साथ साथ दिलों दिमाग में भी अपनी विशेष जगह बना लेता है, मगर,  लोकप्रियता के साथ साथ इस वीडियो शेयरिंग एप्लीकेशन पर काफी बार उंगलिया भी उठायी गयी।

➤ आइए जानते है क्या है पूरा मसला TikTok का !!!



टिकटोक एपकुछ साल पहले Music.ly नाम से एक एप आया, जो अब TikTok  के रूप में ज्यादातर स्मार्टफोन का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला एप बन गया। भारत में इसकी प्रसिद्धि का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत दिसंबर 2019 में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा TikTok  यूजर वाला देश बन गया था। इस वीडियो शेयरिंग नेटवर्क का  इस्तेमाल करना बेहद आसान होने की वजह से लोग इसे अपने तरह तरह की प्रतिभाओं को दुनिया तक पहुंचाने का जरिया बना लिया। एक अध्ययन के मुताबिक चीन की कंपनी ByteDance का यह प्रोडक्ट पिछले साल के अंत तक फेसबुक को पछाड़ कर दुनिया का दूसरा सबसे अधिक डाउनलोड किया गया मोबाइल ऍप्लिकेशन बन गया था।

लेकिन, इतने कम समय में इतनी बड़ी सफलता पाने वाला TikTok बार बार विवादों का केंद्र भी रहा।  पिछले साल किन्हीं  डेटा सम्बंधित सुरक्षा कारणों को लेकर अमेरिका में यह ऐप विवादों में रहा। माना जा रहा था की इस ऐप से लाखों अमेरिकी उपभोक्ताओं के आंकड़े चीन तक पंहुचाये गए जो की सुरक्षा की दृष्टि से बेहद खतरनाग है।  हालांकि, ByteDance  ने इन आरोपों को पलड़ा झाड़ लिया।

The Intercept की रिपोर्ट के अनुसार TikTok के टेक्निकल एक्सपर्ट्स को निर्देशित किया गया की नए यूजर तक सिर्फ वे वीडियोस ही पहुंचाए जाय जिन्हे  बेहतरीन व आकर्षक माहौल में शूट किया गया हो। वहीं गरीब, शारीरिक रूप से असक्षम और बदसूरत नजर आने वालों के वीडियोस कम प्ररसारित हो। ऐप के "For You" सेक्शन से उन वीडियोस को किनारे रखे जाने वाले के इन गंभीर आरोपों की कंपनी ने किसी तरह दरकिनार कर लिया।

टिकटोक एप
इतने लोकप्रिय वीडियो साझा करने वाला यह प्लेटफार्म भारत में भी विवादों से अछूता नहीं रहा। अश्लीलता को बढ़ावा देने के व अपने निहित स्वार्थ के लिए सरकारी व अन्य गैर सरकारी चीनी कंपनियों को भारतीय उपभोक्ताओं के डेटा साझा करने जैसे गंभीर आरोप भी इसपर लगे। परिणामस्वरूप, भारत में इस ऐप पर अस्थाई रूप से प्रतिबंध लग गया।

वर्तमान में एक बार फिर भारत में TikTok का मुद्दा सुर्खियों में आया है। अश्लीलता, असामाजिक संदेशो का प्रसार, अफवाह फैलाने कई कारण है जिससे इसके खिलाफ आवाज़ उठ रही है। एक प्रभावशाली टिकटोकर द्वारा डाले गए कुछ आपत्तिजनक कंटेंट ने जन आक्रोश की लड़ी ही लगा दी। इतना ही नहीं हाल ही में कई देशो से करोनाकाल में इस मंच के सहारे गलत सन्देश फैलाये गए।इसके अलावा अनेको सुरक्षा पहलुओं के चलते इसपर पूर्णतया प्रतिबन्ध की मांग ने गति पकड़ ली, जिसकी बदौलत पिछले कुछ दिनों में गूगल प्ले स्टोर पर इस चीनी ऐप को भारी गिरावट का सामना करना पड़ा ।  कुछ दिनों पहले तक 4 स्टार वाले इस ऐप की रेटिंग सोमवार सुबह तक यह रेटिंग घटकर 1.3 तक देखी गयी।

Low rating at Google play store
 बेशक, टिकटोक के प्रयोग के बहुत सारे सकारात्मक पहलु भी है, मगर इसके कुपरिणाम को भी हलके में नहीं ले सकते। किसी ऍप को बैन कर देना भी कोई समस्या का हल नहीं है क्योंकि भारतीयों को अपने इशारे पर नचाने वाला यह अकेला एप्लीकेशन नहीं है। इस देश के युवाओ की प्रोडक्टिविटी को कम करने के लिए कई और भी इस तरह के डिजिटल नशा विदेशों से विशेषकर पडोसी मुल्क के द्वारा परोसे जाते है और हम उसमे लीन हो जाते है। संवेदनशील जानकारियों का गलत उद्देेेश्य के लिए इस्तेमाल होना संभव है, और जहां तक बात है चीन की, तो उसके इरादे तो हमेशा से संंदिग्ध ही रहे है, इस मसले का नतीजा क्या होगा, यह कहना तो मुश्किल है, मगर सुरक्षा के नजरिए से सरकार को कोई ठोस निर्णय लेना ही होगा।

क्या इस देश के युवा अपने लक्ष्य से भटक कर TikTok  या इस जैसे ऍप तक ही सिमटकर रह जायँगे?  क्या किसी ऐप पर प्रतिबन्ध लगा देना समस्या का समाधान है? क्या सरकार इस और कोई ठोस कदम उठाएगी  या चीन अपने इस तरह के एप्प्स के ज़रिये दुनिया में अपना  रुतबा कायम रखेगा?

फिलहाल, यह है आज की वायरल स्टोरी। 
क्या है आपकी राय इस पुरे मसले पर ? 

दीजिए अपनी प्रतिक्रिया कमेंट के रूप में। 



➖✍️शिवम् तिवाड़ी 🇮🇳
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Tiddi Dal Ka Hamla - टिड्डी दलों का हमला

      वर्तमान में  Tiddi Dal Ka Hamla  एक बहुत बड़ी चुनौती बन चुका है। दुनिया के कुछ इलाकों से शुरू हुआ टिड्डी दलों का हमला अब भारत के लिए...